उत्पादन में कमी से अरंडी में तेजी की संभावना

नई दिल्ली, 30 मार्च (एनएनएस) इस बार अरंडी का उत्पादन राजस्थान गुजरात आंध्र प्रदेश कर्नाटक महाराष्ट्र सभी उत्पादक राज्यों में 16-17 प्रतिशत कम हुई है। दूसरी ओर अधिकतर स्टॉकिस्ट अपना माल काट चुके हैं। इस वजह से वर्तमान में आई गिरावट में व्यापार आगे चलकर भरपूर लाभदायक लग रहा है तथा इसमें किलो की तेजी लग रही है।

अरंडी का उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान आंध्र प्रदेश कर्नाटक एवं गुजरात में होता है। महाराष्ट्र में भी इसकी फसल अच्छी होती है। विगत दो वर्षों में लगातार उत्पादन अधिक होने से गत सीजन में लगातार मंदे का रुख बना रहा था तथा पूरा सीजन बाजार उठ नहीं पाया। इस बार मौसम प्रतिकूल होने से अरंडी का उत्पादन 21 लाख टन से घटकर 18 लाख मीट्रिक टन रह जाने का अनुमान आ रहा है। वहीं खपत में तीन प्रतिशत की विगत 2 वर्षों से लगातार वृद्धि हो रही है। यही कारण है कि जो वर्तमान में मंडियों में अरंडी के भाव 54/55 रुपए प्रति किलो चल रहे हैं, इसमें आगे चलकर भरपूर लाभ मिलने की संभावना दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि अरंडी की खपत अखाद्य तेलों के रूप में ज्यादा होती है, लेकिन अब इसकी इंडस्ट्रियल मांग बढ़ गई है। यही कारण है कि अरंडी का व्यापार पिछले एक दशक के अंतराल 26-27 प्रतिशत बढ़ा है। हम मानते हैं कि सरकार द्वारा हाइब्रिड बीज मुहैया करा कर उत्पादकता भी बढ़ाया गया है, लेकिन खपत में वृद्धि होने तथा प्रतिकूल मौसम से आगे चलकर अरंडी सीड कम पड़ सकती है। इस बार लगातार पिछले सीजन में मंदा बना रहा, क्योंकि विगत दो वर्षों से पुराना स्टॉक बचत जा रहा था तथा पिछला उत्पादन भी 21 लाख मीट्रिक टन हुआ था। इस वजह से सकल उपलब्धि में 26 लाख मीट्रिक टन नया-पुराना मिलाकर रही, जबकि इस बार पाइप लाइन में पुराना माल ढाई लाख मीट्रिक टन है तथा आने वाली फसल 18 लाख मैट्रिक टन बैठ रही है। इसलिए सकल उपलब्धि 20-21 लाख मीट्रिक टन बैठ रही है, जो आगामी खपत के लिए प्रोसेसिंग होने पर अनुकूल नहीं है, इस स्थिति में अरंडी व इसका तेल आगे चलकर भरपूर तेज रहेगा। गत सीजन में जो अरंडी 63.50 रुपए नए सीजन में बिकी थी, उसके भाव घटकर वर्तमान में प्लांट पहुंच में 57 रुपए रह गए हैं तथा तेल भी 126/127 रुपए प्रति किलो रह गया है। अब इसमें कोई जोखिम नहीं लग रहा है।

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